Thursday, August 15, 2013

देशभक्ति - इवेंट २०१३ - ईबुक





ग्रुप एड्मिन डा० शिवजी श्रीवास्तव जी का संदेश

हाइकु हिन्दी में सशक्त और लोकप्रिय विधा के रूप में स्थापित हो चुकी है | इण्टरनॆट और सोशल साइटस ने इसकी लोकप्रियता में अभूतपूर्व वॄद्धि की है. अपने संक्षिप्त कलेवर के कारण यह सोशल साइट्स को खूब रास आई है तथा इसके लिखने और पढने वालों की संख्या भी बेतहाशा बढी है,प्रस्तुत ई-पुस्तिका इसी का प्रमाण है।

        साहित्यिक मधुशाला फ़ेसबुक का लोकप्रिय परिवार है, इस की शुरुआत मनोरंजन के रूप में--''हाइकु-हाइकु एक युद्धशाला'' के नाम से हुई थी। संभवतः शम्भु झा, राहुल श्रीवास्तव, और उनके कुछ मित्रों ने इसे प्रारम्भ किया था.. श्री महेन्द्र वर्मा जी भी इसके प्रारम्भिक सदस्यों में से एक है। प्रारम्भ में लोगों को हाइकु की गम्भीरता का अनुमान नहीं था..बस ५-७-५ में कुछ भी कह दिया जाता था.. मैने महेन्द्र वर्मा जी, त्रिलोक नारंग जी, संजय सूद जी इत्यादि मित्रों के सहयोग से शनैः शनैः इसमें परिवर्तन किये.. इसके नाम को बदल कर बाद में इसे-''हाइकु कार्यशाला'' के रूप में परिवर्तित किया जिसमें सभी सीखने-सिखाने की भूमिका में रहें... इस कार्यशाला को सर्वाधिक सक्रिय एवम जीवन्त रूप मिला श्री अरुण रुहेला के आगमन से। भाई अरुण रुहेला नें अपने प्रबन्ध कौशल से इसमे अनेक विद्वानों को जोडा और लगातार प्रतियोगिताओं का आयोजन किया... इन प्रतियोगिताओं ने लोगो में हाइकु के प्रति गम्भीरता और उत्साह का संचार किया. इस ग्रुप को आदरणीय जगदीश व्योम जी का आशीर्वाद भी मिला। भाई सुरेश चौधरी जी ने विजयी प्रतिभागियों को पुरुस्कार प्रदान कर के इस प्रतियोगिता को गौरव प्रदान किया।
             प्रतियोगोताओं की इस कडी में ''देशभक्ति" ईवेन्ट का निर्णय आदरणीय व्योम जी ने किया , मै समूह की ओर से उनका आभार व्यक्त करता हूं। अपने सभी सहयोगी मित्रों को धन्यवाद देता हुआ मैं विशेष रूप से अरुण रुहेला का आभारी हू इस ई-पुस्तिका का सम्पूर्ण प्रकाशन उन्हीं के परिश्रम का प्रतिफल है।
~ डा० शिवजी श्रीवास्तव

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